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छत्तीसगढ़ का राज्य चिन्ह: सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक

छत्तीसगढ़ का राज्य चिन्ह

छत्तीसगढ़ में 4 सितंबर 2001 को मंत्रिमंडल ने राज्य चिन्ह को लागू कर दिया। यह राज्य चिन्ह छत्तीसगढ़ की पहचान, और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाया है, यह चिन्ह छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो राज्य की आदर्शो और परंपराओं को प्रस्तुत करता है।

छत्तीसगढ़ का राज्य चिन्ह गोलाकार है और इसके केंद्र में विशिष्ट आकृति और इसके चारो को कुछ विशिष्ट तत्व है, इसके केंद्र में अशोक स्तंभ को आकृति है जो भारत को सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, यह शांति, समृद्धि, न्याय और एकता का प्रतीक है, यह छत्तीसगढ़ राज्य की इन्ही आदर्शो के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

केंद्र में अशोक स्तंभ के चारो ओर धान को बालियों का घेरा है, जो यह दर्शाता है को छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है और यह कृषि संस्कृति का मुख्य आधार को दर्शाया है, छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, जिससे यह छत्तीसगढ़ को कृषि प्रधानता और उत्पादन क्षमता को दर्शाता है।

छत्तीसगढ़ राज्य चिन्ह के बाहरी भाग में सफेद और हरे रंग का घेरा है जो राज्य के हरियाली, प्राकृतिक सुंदरता और प्राकृतिक संसाधन को दर्शाता है।

राज्य चिन्ह का महत्वपूर्ण महत्व है, यह राज्य की सांस्कृतिक, समृद्धि, भाषा, बोली, रहन सहन, हरियाली, और परंपराओं को दर्शाता है। राज्य चिन्ह राज्य की कृषि प्रधानता को भी दर्शाता है, और यह धान छत्तीसगढ़ की मुख्य फसल को दर्शाता है, और यह वन संसाधन को भरमार को भी दर्शाता है।

यह राज्य चिन्ह राज्य की गौरव को दर्शाता है, यह राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान देती है।