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छत्तीसगढ़ का निर्माण: दक्षिण कोसल से भारत का 26वां राज्य बनने तक की यात्रा

छत्तीसगढ़ का निर्माण

छत्तीसगढ़ को प्राचीन समय में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोसल कहे जाना का कारण यहां पर बढ़िया गुणवत्ता का कोसा बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता था इस कारण दक्षिण कोसल कहा जाता था, और छत्तीसगढ़ में कवि प्यारेलाल गुप्त के अनुसार श्री राम की माता कौशल्या कोसलाधीश को पुत्री थी इस कारण छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोसल कहा जाता था। इससे यह अनुमान लगाया जाता था की छत्तीसगढ़ भी रामायण काल के जितना प्राचीन था।

इतिहास में छत्तीसगढ़ में इन साम्राज्य ने शासन किया था -

1. मौर्य साम्राज्य (322–185 ई.पू.)
2. सातवाहन साम्राज्य (230 ई.पू.–220 ई.)
3. गुप्त साम्राज्य (320–550 ई.)
4. कलचुरी राजवंश (6वीं शताब्दी – 12वीं शताब्दी)
5. सोमवंशी राजवंश (9वीं से 12वीं शताब्दी)
6. हैहय वंश
7. मराठा साम्राज्य (18वीं शताब्दी)
8. ब्रिटिश राज (1858-1947)


छत्तीसगढ़ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रतनपुर के राजा राजसिंह के कवि गोपाल मिश्र द्वारा किया गया था लेकिन कई जगह इसे खैरागढ़ के राजा लक्ष्मीनिधि राय के कवि राव द्वारा किया गया था मानते है।

छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वप्रथम मानचित्र 1905 में बन गया था। इस समय कुल 17 रियासते थी। छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वप्रथम कल्पना करने वाले व्यक्ति पंडित सुंदरलाल शर्मा थे, इन्होंने पांडुलिपि की रचना की थी जो एक राजनीतिक दस्तावेज है, उन्होंने अपने पांडुलिपि में छत्तीसगढ़ का स्पष्ट रेखाचित्र खींचा था।

छत्तीसगढ़ राज्य की मांग 1924 में रायपुर जिला परिषद में सर्वप्रथ हुआ था, इसके बाद कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन में 1939 में, इसके बाद सैयद फजल अली की अध्यक्षता में 1953 में, इसके बाद 1955 में रायपुर के विधायक ठाकुर रामकृष्ण सिंह द्वारा विधानसभा में, इसके बाद 1956 में डॉ. खूबचंद बघेल की अध्यक्षता में राजनांदगांव में छत्तीसगढ़ महासभा में, इसके बाद 1967 में रायपुर में सम्मेलन में राष्ट्रपति से छत्तीसगढ़ राज्य की मांग की गई, इसके बाद 1971 में मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र द्वारा प्रधानमंत्री से छोटे राज्यों की मांग की गई थी जिसमे छत्तीसगढ़ भी शामिल था।

छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाने के कई सारे कारण थे, छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक, भाषा, बोली, रहन सहन, छत्तीसगढ़ का भौगोलिक क्षेत्रफल बहुत बड़ा था, प्रशासनिक, मानव संसाधन, आर्थिक और बहुत सारे कारण थे।

इसके बाद 18 मार्च 1994 को साजा (वर्तमान दुर्ग) के विधायक रविन्द्र चौबे द्वारा विधानसभा में पृथक राज्य का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जो सर्वसम्मति से पारित हुआ था, इसके बाद 25 मार्च 1998 को लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति ने दोनो सदनों को संबोधित करते हुए अपने अभिभाषण में छत्तीसगढ़ राज्य बनाने के कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया, इसके बाद मध्य प्रदेश विधानसभा ने 1 मई 1998 को शासकीय संकल्प पारित किया था, इसके बाद 1 सितंबर 1998 को राज्य विधानसभा ने राष्ट्रपति द्वारा भेजे मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 1998 में लगभग 40 संशोधन करके वापस राष्ट्रपति को भेजा, इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा 25 जुलाई 2000 को लोकसभा में छत्तीसगढ़ संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया, जो 31 जुलाई 2000 को पारित हो गया, और यह 9 अगस्त 2000 को राज्य सभा में भी पारित हो गया, इसके बाद यह 28 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 बन गया।

इसके बाद 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से पृथक होकर छत्तीसगढ़ भारत को 26वां राज्य बना।

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