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विनम्रतासूचक संरचनाएं: शालीनता और सौम्यता का सही उपयोग

विनम्रतासूचक संरचनाओं का विशेषताएँ

(1) विनम्रतासूचक वाक्य शालीनता और सौम्यता के द्योतक होते हैं। साधारणतया छोटों द्वारा बड़ों के प्रति सम्मानजनक भावाभिव्यक्ति के लिए इसका प्रयोग होता है, किन्तु छोटे-बड़े सभी बिना किसी भेद के विनम्रतासूचक वाक्यों का प्रयोग करते हैं।

(2) विनम्रता अपने से बड़ों के प्रति, आदर योग्य व्यक्तियों के प्रति, अपरिचितों के प्रति, अधिकारियों के प्रति, मित्रों इत्यादि सभी के प्रति व्यक्त की जाती है। श्रोता जब आयु में बड़ा या आदरणीय हो तो उसके लिए आप, श्रीमान, महोदय, महाभाव, जी, साहब, हुजूर, सर इत्यादि सम्बोधनों का प्रयोग किया जाता है। इसीलिए ये विनम्रताबोधक सम्बोधन कहलाते हैं।

(3) विनम्रतासूचक अभिव्यक्ति में वक्ता स्वयं के लिए, मैं, सेवक, आज्ञाकारी, भवदीय, आपका, कृपापात्र, कृपाकांक्षी, स्नेहाभिलाषी इत्यादि शब्दों का प्रयोग करता है।

(4) विनम्रतासूचक वाक्य में कठोरता व्यंजक या अनादर सूचक कोई शब्द नहीं होता है।

(5) विनम्रतासूचक वाक्य सदैव इच्छाबोधक या प्रार्थनासूचक ही होते हैं। इसमें आज्ञार्थक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसमें कोमलता व सुर में एक विशेष आग्रह का पुट होता है।

(6) विनम्रताबोधक वाक्य में क्रिया के रूपों में भी विनम्रता दृष्टिगोचर होती है। जैसे- लीजिए, दीजिए, आइए, बैठिए, पधारिए, सुशोभित कीजिए, इनके अतिरिक्त इनमें गा, गी, गे इत्यादि लगाकर अतिविनम्रता प्रकट की जाती है, जैसे-लीजिएगा, आइएगा, सुनियेगा, पधारिएगा, आयेंगे, ले लीजिए, दे दीजिए इत्यादि।

(7) विनम्रता भाषा के प्रयोग में व्यक्त होती है। इसमें कंठसुर की कोमलता, धीमी आवाज, आवाज का उतार-चढ़ाव और कायिक चेष्टाएँ सजीवता प्रदान करती हैं। जैसे- लोग 'महल' जैसे घर को झोपड़ी कह देते हैं और सामान्य घर को दौलतखाना। इसी प्रकार मेरी झोपड़ी पवित्र कीजिए। जूठन गिराइए, अनुगृहीत कीजिए, अनुग्रहीत करने की कृपा करने का कष्ट दीजिए। मैं आपकी सेवा में सदैव तत्पर हूँ, देवी! तुम्हारे बिना मेरा घर भूत-प्रेतों का डेरा था, गुले-गुलजार, चमन की बहार, तुम्हारे बिना मेरा दिले चमन वीरान था इत्यादि।

(8) विनम्रतासूचक शब्दों का वाक्यों में विनम्रता की मात्रा कम या अधिक, व्यक्ति के प्रयोग से होती है। शब्द वही है लेकिन क्रमशः अधिक विनम्रता, सुर तान लहजे के अनुसार वे व्यक्त करते हैं।